क्रोध अग्नि की तरह दाहक होता है जो हमे अन्दर ही अन्दर जलाता रहता है और क्षमा और करुणा हमे एक अद्भुत और आनंदायक शांति की अनुभूति कराती है
अब ये हम पर निर्भर करता है की हम किसको चुनते है अथवा किसका चुनाव करते है
क्रोध
या
क्षमा
अब ये हम पर निर्भर करता है की हम किसको चुनते है अथवा किसका चुनाव करते है
क्रोध
या
क्षमा
0 comments:
Post a Comment