बात पूनम की आती है याद आती है उस चाँद की
जिसकी पलको तले बीती कई राते थी
रखके काँधे पे सर निहारते उस चाँद को
और खुदा से कहते तुमने क्या सौगात दी
एक क्या दो क्या लाखो कुर्बान है चाँद
मेरे इस चाँद से तो हंसी है नही
लोग करते है तारीफ उनकी सनम
हम तो डूबे रहे हर पल तुममे ही
हम तो डूबे रहे हर पल तुममे ही
हम तो डूबे रहे हर पल तुममे ही
जिसकी पलको तले बीती कई राते थी
रखके काँधे पे सर निहारते उस चाँद को
और खुदा से कहते तुमने क्या सौगात दी
एक क्या दो क्या लाखो कुर्बान है चाँद
मेरे इस चाँद से तो हंसी है नही
लोग करते है तारीफ उनकी सनम
हम तो डूबे रहे हर पल तुममे ही
हम तो डूबे रहे हर पल तुममे ही
हम तो डूबे रहे हर पल तुममे ही
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