Kavita house 22:57 Kavita Sangrah No comments जब साथ थे तो पता भी न था की रोने से भी सुकून मिलता है अब जो तुमसे दूर है तो रो रो के मन हल्का करते है Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook Related Posts:वो घटा जो हम पे बरस जाये तो कोई सितमगर हम पे जो सितम ढाये तो वो घटा जो हम पे बरस जाये तो कोई सितमगर हम पे जो सितम ढाये तो खुसबू उस चमन की नसीब में नही फूल न सही काटे ही मिल जाये जो है उनके ही हम वो हमारे … Read Moreएक अधूरा जहां अधूरे लोग अधूरी नियत अधूरी इंसानियत एक अधूरा जहां अधूरे लोग अधूरी नियत अधूरी इंसानियत ये कहा आ गए ख़ुदा जहा न लोगो के पास दिल है न ही इंसानियत न ही एक दूसरे से बोलना चाहते है सिर्फ और सि… Read Moreये कैसी विरह वेदना है न तुम समझी न मै समझ सकी कुछ दिल की धड़कन सुनते है कुछ ख्वाब तुम्हारे बुनते है पलकों के सिरहाने पर ये नयन ताकते रहते है तुम आओगे कब आओगे बस यही सोचते &… Read Moreमेरे कान्हा मेरे कान्हा भी कभी कभी मेरे साथ सरारत करते है कभी कभी मुझे सताते है आज सुबह मई मंदिर में उन्हें स्नान करा रहा था उसके पहले उनका मुकुट और माला और उनके… Read Moreलेकिन दिल में हमेशा सपनो का ताजमहल होगा हम भी इस राह के मुसाफिर है मेरे दोस्त कुछ कदम मेरे संग तो चल के तो देखिये धुप में भी छाँव का एहसास होगा बेगानो के बीच भी अपनों का साथ होग… Read More
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