पवित्रता और अपवित्रता के शब्दों में सिर्फ एक अक्षर का अंतर है क्योकि अ जोड़ देने मात्र से अपवित्रता शब्द बन जाता है
लेकिन वास्तविक जीवन में अगर किसी मनुष्य से जोड़ दिया जाये तो ये उसके लक्षणों को उसके आचार को उसके व्यहार को ही नही अपितु पूरी जिन्दगी ही बदल देता है
पवित्रता मनुष्य को शुद्ध करती है और अपवित्रता दूषित करती है
लेकिन वास्तविक जीवन में अगर किसी मनुष्य से जोड़ दिया जाये तो ये उसके लक्षणों को उसके आचार को उसके व्यहार को ही नही अपितु पूरी जिन्दगी ही बदल देता है
पवित्रता मनुष्य को शुद्ध करती है और अपवित्रता दूषित करती है
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