आज याद आता है यारो वो गोलगप्पे का ठेला
वो गलियों का शोर वो गावों का मेला
बहुत याद आते है वो पल हमे
है हर पल सताते है वो पल हमे
कई दिन पहले महीनो पहले
इंतज़ार करना और करते रहना
इक इक पैसा उस गुल्लक में रखना
उस मेले की खातिर उस रेले की खातिर
वो गलियों का शोर वो गावों का मेला
बहुत याद आते है वो पल हमे
है हर पल सताते है वो पल हमे
कई दिन पहले महीनो पहले
इंतज़ार करना और करते रहना
इक इक पैसा उस गुल्लक में रखना
उस मेले की खातिर उस रेले की खातिर
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