बहक गए जो कदम तो संभलना मुस्किल है Kavita house 11:23 Kavita Sangrah No comments बहक गए जो कदम तो संभलना मुस्किल है यही जान के कदमो को रोके बैठे है कबतक रुकेंगे या रोकेंगे अपने कदमो को यही जान के कदमो को रोके बैठे है Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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