पवित्रता अगर ह्रदय में वास करती है तो सात्विकता मन में आ ही जाती है और ये ऐसा गुण है जो हमे हर अधर्म को करने से रोकता है और सदैव ही हमे सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की शक्ति देता है वही कुटिलता कुविचार हमारे मन और ह्रदय को एक बीमारी की तरह ग्रसित कर लेते है और हम धीरे धीरे नरक के मार्ग पर चलते जाते है
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