प्यार और आकर्षण में बहुत अंतर होता है न जाने आज की पीढ़ी इसको पहचान ने में क्यों भूल करती है
प्रेम सागर की तरह विशाल है
तो आकर्षण बहुत ही सूक्ष्म है
प्रेम में दया है करुणा है
तो आकर्षण में वासना है
प्रेम पापहीन है
आकर्षण पाप में लीन है
प्रेम हमे जीना सिखाता है
तो आकर्षण गहरे खड्डे में गिराता है
फिर हम क्यों नही पहचान पते है
प्रेम सागर की तरह विशाल है
तो आकर्षण बहुत ही सूक्ष्म है
प्रेम में दया है करुणा है
तो आकर्षण में वासना है
प्रेम पापहीन है
आकर्षण पाप में लीन है
प्रेम हमे जीना सिखाता है
तो आकर्षण गहरे खड्डे में गिराता है
फिर हम क्यों नही पहचान पते है
दोनों में जमीन आस्मां का अंतर है
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