राधे कृष्णा Kavita house 07:09 Kavita Sangrah No comments हमारे मन की अध्यामितकता अगर हम समझ जाये तो हमारा मन अपने आप ही सात्विक हो जायेगा राधे कृष्णा Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook Related Posts:वो तेरे सुर्ख लबो की कहानी याद आती है हा वो बीते हुए लम्हों की जवानी याद आती है वो तेरे सुर्ख लबो की कहानी याद आती है हा वो बीते हुए लम्हों की जवानी याद आती है की कुछ तुमने कहा था और सुना था मैंने भी तुमसे मना क… Read More प्रभु मुझे इतना भोला बना दो की मै भोले का दीवाना हो जाऊ मुझे भी इतना निश्छल बना दो की मुझे तेरा दीदार हो जाये मुझे भी अप… Read More मिल जाए मुझे भी कोई नीली छ्तरिवाला जिसके गले में हो सर्पो की माला हाथो में हो डमरू और वो पहने हो मृगछाला … Read Moreहा दिल बेचैन है तुम बिन कही ना चैन है तुम बिन हा दिल बेचैन है तुम बिन कही ना चैन है तुम बिन तन्हा ये रैन है तुम बिन तडपते नैन है तुम बिन फ्जाये है हवाए है घटाए है और यादे… Read Moreयादे कुछ पल जिन्दगी के इतने यादगार पल होते है जिन्हें हम चाहकर भी नही भूल पाते चाहे वो सुख के हो या दुःख के हो हमेशा हमारे दिलो में एक अमिट छाप की… Read More
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