अस्को का आशियाना बनाया है इस दिल ने इस क़द्र
जिसकी नदी ही एक बन गयी है जहन में मेरे
रो रो के सूख गया है पानी आँखों का
फिर भी खुदा की रहमत नही है तो इसमें कुसूर है क्या
मुफ़लिस हु अपनी जिंदगी से
बेकद्र हो गया है ये जमाना भी मुझसे
बस उम्मीद है की आगे जहाँ मिल जायेगा मुझे
जिसकी नदी ही एक बन गयी है जहन में मेरे
रो रो के सूख गया है पानी आँखों का
फिर भी खुदा की रहमत नही है तो इसमें कुसूर है क्या
मुफ़लिस हु अपनी जिंदगी से
बेकद्र हो गया है ये जमाना भी मुझसे
बस उम्मीद है की आगे जहाँ मिल जायेगा मुझे
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