आगोश में अपने तुझे ले तो लूँ लेकिन
वक़्त कहता है अभी नही अभी नही
मै हूँ मसगूल थोड़ा अपनी मुहब्बत संग
अंग से अंग उनके मिलालूं तो सही
नजरे कहती है मै शर्म से झुक जाऊ गर
वो कहती है कुछ लम्हों के लिए ठहर जाओ जी
तन भी है संग मन भी है संग और
जहन से जहन में घुल गया है कही
ढूंढता तो चाहता हूँ उनको
उनमे खोकर के लेकिन
कुछ इरादा बदला सा है
कुछ ये मन समझता है नही
कैसा ये नशा है ये
ये कैसी दिस्नागी है
की बाहो के झुरमुट में उनके
जिंदगी खो गयी कही
उसको खोजने में भी मजा आरहा है
कभी उनके आँचल में तो कभी
बालो के घने बादल में ढूंढ रहा है ये दिल
ये सब भी खूब हंसी है
बिना मद के ही जो है हम नशे में लेकिन
आगोश में अपने तुझे ले तो लूँ लेकिन
वक़्त कहता है अभी नही अभी नही
वक़्त कहता है अभी नही अभी नही
मै हूँ मसगूल थोड़ा अपनी मुहब्बत संग
अंग से अंग उनके मिलालूं तो सही
नजरे कहती है मै शर्म से झुक जाऊ गर
वो कहती है कुछ लम्हों के लिए ठहर जाओ जी
तन भी है संग मन भी है संग और
जहन से जहन में घुल गया है कही
ढूंढता तो चाहता हूँ उनको
उनमे खोकर के लेकिन
कुछ इरादा बदला सा है
कुछ ये मन समझता है नही
कैसा ये नशा है ये
ये कैसी दिस्नागी है
की बाहो के झुरमुट में उनके
जिंदगी खो गयी कही
उसको खोजने में भी मजा आरहा है
कभी उनके आँचल में तो कभी
बालो के घने बादल में ढूंढ रहा है ये दिल
ये सब भी खूब हंसी है
बिना मद के ही जो है हम नशे में लेकिन
आगोश में अपने तुझे ले तो लूँ लेकिन
वक़्त कहता है अभी नही अभी नही
0 comments:
Post a Comment