कुछ दिल की धड़कन सुनते है
कुछ ख्वाब तुम्हारे बुनते है
पलकों के सिरहाने पर
ये नयन ताकते रहते है
तुम आओगे कब आओगे
बस यही सोचते रहते है
नैनों में है श्रृंगार सखी
मन की मुरली हर पल बजती
हम कहते है तुम थक सी गयी
लेकिन वो चलती ही रहती
मै नही थकी मै नही थकी
जाने वो किस से कहती रहती
नैनों में सागर अस्को का
लेकिन होठो पर है मुस्कान सखी
ये कैसी विरह वेदना है
न तुम समझी न मै समझ सकी
नैनों में सागर अस्को का
लेकिन होठो पर है मुस्कान सखी
ये कैसी विरह वेदना है
न तुम समझी न मै समझ सकी
कुछ ख्वाब तुम्हारे बुनते है
पलकों के सिरहाने पर
ये नयन ताकते रहते है
तुम आओगे कब आओगे
बस यही सोचते रहते है
नैनों में है श्रृंगार सखी
मन की मुरली हर पल बजती
हम कहते है तुम थक सी गयी
लेकिन वो चलती ही रहती
मै नही थकी मै नही थकी
जाने वो किस से कहती रहती
नैनों में सागर अस्को का
लेकिन होठो पर है मुस्कान सखी
ये कैसी विरह वेदना है
न तुम समझी न मै समझ सकी
नैनों में सागर अस्को का
लेकिन होठो पर है मुस्कान सखी
ये कैसी विरह वेदना है
न तुम समझी न मै समझ सकी
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