वो मुस्कराती हुई शाम याद आती है
जब शाम ढलते ही जम्हाई आती थी
मन से एक आवाज आती थी की
एक चाय की प्याली मिल जाए
हम भी धीमी आवाज में डरते डरते कहते थे
अजी सुनती हो शाम ढलने को है
उधर से तेज और कुछ भुनभुनाती हुई आवाज आती
हां पता है मुझे मुझसे ज्यादा किसकी जरुरत है तुम्हे
हम भी थोड़ा बहलाते थे थोड़ा फुसलाते थे
कभी कभी अपने कान पकड़कर उनको मनाते थे
लगा दिल पिघला चेहरे पे एक मुस्कान आई
जाओ आप भी रुला देते हो कभी कभी
हम दोनों भावनाओ के प्रवाह में बहने लगते थे
ठीक है ठीक है आपकी चाय मई दो पल में लाई
वो रसोई में जाती हम पीछे से पहुंच जाते
मन ये कहता कुछ शरारत करे
पीछे जाके भर लेते थे अपनी बाहो में
सिर्फ ये एक चाय की कहानी नही है
ये हमारे जिंदगी के हसीं पहलू है
जो तन्हाई में कभी हमको हँसते है
तो कभी कभी हँसाते हँसाते रुला जाते है
अजीब है ये प्यार ये मुहब्बत
जब शाम ढलते ही जम्हाई आती थी
मन से एक आवाज आती थी की
एक चाय की प्याली मिल जाए
हम भी धीमी आवाज में डरते डरते कहते थे
अजी सुनती हो शाम ढलने को है
उधर से तेज और कुछ भुनभुनाती हुई आवाज आती
हां पता है मुझे मुझसे ज्यादा किसकी जरुरत है तुम्हे
हम भी थोड़ा बहलाते थे थोड़ा फुसलाते थे
कभी कभी अपने कान पकड़कर उनको मनाते थे
लगा दिल पिघला चेहरे पे एक मुस्कान आई
जाओ आप भी रुला देते हो कभी कभी
हम दोनों भावनाओ के प्रवाह में बहने लगते थे
ठीक है ठीक है आपकी चाय मई दो पल में लाई
वो रसोई में जाती हम पीछे से पहुंच जाते
मन ये कहता कुछ शरारत करे
पीछे जाके भर लेते थे अपनी बाहो में
सिर्फ ये एक चाय की कहानी नही है
ये हमारे जिंदगी के हसीं पहलू है
जो तन्हाई में कभी हमको हँसते है
तो कभी कभी हँसाते हँसाते रुला जाते है
अजीब है ये प्यार ये मुहब्बत
प्यार में चिढ़ाना और ये सरारत
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