मेरे कान्हा भी कभी कभी मेरे साथ सरारत करते है कभी कभी मुझे सताते है आज सुबह मई मंदिर में उन्हें स्नान करा रहा था उसके पहले उनका मुकुट और माला और उनके कपडे उतार रहा था की स्नान कर लो लेकिन कभी वो अपना माला खीच रहे कभी अपना मुकुट नही दे रहे कभी इधर कभी उधर भाग रहे मुझे भी इनकी ये सरारत देख कर मन ही मन आनंद मिल रहा था और मै बार बार पुकार रहा कान्हा कान्हा इधर आइये मुझे और भी काम है लेकिन वो कहा मानने वाले वो आगे आगे मै पीछे पीछे आखिर थककर मई एक तरफ बैठ गया तो अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ मुस्कराते हुए मेरे पास आकर बैठ गए मैंने भी कहा की आप मुझे सताना चाहते थे ना
भाइयो ऐसा रोज होता है मेरे और मेरे कृष्णा के बीच क्या आप भी कभी बात करने की कोशिश किये अगर नही तो एक बार करके देखिये मै सच कहता हु इतना आनंद आपको कही नही मिलेगा
जय श्री कृष्णा
जय जय श्री कृष्णा
भाइयो ऐसा रोज होता है मेरे और मेरे कृष्णा के बीच क्या आप भी कभी बात करने की कोशिश किये अगर नही तो एक बार करके देखिये मै सच कहता हु इतना आनंद आपको कही नही मिलेगा
जय श्री कृष्णा
जय जय श्री कृष्णा
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