आज खुद मेहरबान है मुझपर
उसकी इनायत कुछ ज्यादा ही आज है
कुछ तो बात है आज में
की मुकद्दर आसमा पे है
छु लेने का मन आज चाँद और तारो को है
क्योकि आज गुलसिता ही मेरे पास है
उसकी इनायत कुछ ज्यादा ही आज है
कुछ तो बात है आज में
की मुकद्दर आसमा पे है
छु लेने का मन आज चाँद और तारो को है
क्योकि आज गुलसिता ही मेरे पास है
आमीन आमीन
0 comments:
Post a Comment