छिति जल पावक गगन समीरा , पंच रचित अति अधम सरीरा'
इन्ही पंचतत्वो से मिलकर हमारे शरीर का निर्माण हुआ है ..
जिससे हमारे शरीर का निर्माण हुआ उसी को हम नष्ट कर रहे है
और हम भी अपने अंत की ओर जा रहे है क्यों हम लोग सब कुछ जानते हुए भी अपनी प्राक्रतिक संपदा को नष्ट कर रहे है ,
इन्ही पंचतत्वो से मिलकर हमारे शरीर का निर्माण हुआ है ..
जिससे हमारे शरीर का निर्माण हुआ उसी को हम नष्ट कर रहे है
और हम भी अपने अंत की ओर जा रहे है क्यों हम लोग सब कुछ जानते हुए भी अपनी प्राक्रतिक संपदा को नष्ट कर रहे है ,
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