तेरे आंसुओ की क़द्र है मुझे Kavita house 08:57 Kavita Sangrah No comments तेरे आंसुओ की क़द्र है मुझे मगर कुछ है मेरे जहाँ में जो मुझे तुझसे दूर ले जाता है मै बेवफा नही मगर लेकिन फिर भी ऐसा क्या है Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook Related Posts:जज्बाते मुहब्बत कहने को तो बहुत है ये जिन्दगी भी कम पड़ जाएगी अभी फिलहाल आँखों से ही बात करते है … Read Moreबेगाना मौसम धुप सौतन सी लगती है ग्रीष्म ऋतू में सखी शरद ऋतू में साजन सी लागे मुझे बरखा में जैसे हो जाए ये बावरी और बसंत में मनोहर सी लागे मु… Read More कौन सा फर्ज कौन सी बात बीत गयी वो रात अब हम भी वही है और तुम भी वही … Read Moreदिल की बात तुम्ही हो सुबहो तुम्ही सवेरा तुम्ही रौशनी तुम्ही अँधेरा तुम्ही हो सुख में तुम्ही हो दुःख में तेरे सिवा कोई नही है मेरा … Read Moreअन्जाना एहसास मेरा मन जब उदास होता है मै ही मै रहता हूँ न कोई साथ होता है ले लेता हूँ एक छोटी सी छड़ी चल देता हूँ अपनी बगिया में बस वही … Read More
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