जिंदगी एक अनसुलझी पहेली सी हो हो गई है,
थकी सी हारी सी खंडहर की तरह बेजान हो गई है,
कोई पूछता है तो शब्द नही आते है जुबा पर ,
कुछ खो गया हो जैसे इसका ये अकेली सी हो गई है ,
जिंदगी एक अनसुलझी पहेली सी हो हो गई है,
थकी सी हारी सी खंडहर की तरह बेजान हो गई है,
कोई पूछता है तो शब्द नही आते है जुबा पर ,
कुछ खो गया हो जैसे इसका ये अकेली सी हो गई है ,
जिंदगी एक अनसुलझी पहेली सी हो हो गई है,
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