एक अजीब सी परिस्थति ,अजीब सी कश्मकश , और ऐसा क्यों होता है ,क्यों कभी
कभी हम खुद को नही समझ पाते है ,क्यों हमारे मन में अंतर्द्वंद चलता रहता
है ,क्यों हम अपने ही मन से ,अपने ही विचारो से ,अपने पास के माहौल से जो
कि बहुत ही स्वार्थी है ,................ से लड़ता रहता है ,लोग कहते है की
सबकुछ पास है फिर भी अधूरा पन लगता है ,हम खुद को अकेला महसूस करते है ,
क्या हम ,हमारे अपने और ये समाज इतना स्वार्थी हो गया की हम अपने आप को भूल
गए ,अपने आचरणों को भूल गए ,अपनी संस्कृति भूल गए ,अपनी सभ्यता भूल गए
,……………
और इन सबको भूलने के साथ साथ शायद हम अपने आपको भूल गए। .......
शायद यही मेरे मन के अंतर्द्वंद का कारण है।
हे प्रभु मेरा मार्गदर्शन कीजिये। ………।
और इन सबको भूलने के साथ साथ शायद हम अपने आपको भूल गए। .......
शायद यही मेरे मन के अंतर्द्वंद का कारण है।
हे प्रभु मेरा मार्गदर्शन कीजिये। ………।
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