कभी ख्वाबों कि परछाइयो तले Earthcare Foundation NGO 08:51 Kavita Sangrah No comments कभी ख्वाबों कि परछाइयो तले ,,,,,,,, घूंघट उठा के देखा जो उनका ,,,,,,,,,, तो शर्मा गयी यादो की परछाई,,,,,,,,,,,,,, जो दीदार हुआ उन नशीली आँखों का ,,,,,,,,, खोये हुए ख्यालो में खो गए हम यूं ही , तो थम गया जैसे हजारो गमो सिलसिला। कभी ख्वाबों कि परछाइयो तले ,,,,,,,, घूंघट उठा के देखा जो उनका ,,,,,,,,,, Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
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