ये जीवन क्या है ,क्यों हम इसे जिए जा रहे है ,शायद कोई तो कारण है
जीने का ,कुछ अपने है कुछ पराये है ,तो कुछ सपने है ,कुछ हकीकत है ,लेकिन
फिर भी जाने अनजाने में कोई न कोई रिश्ता तो है ही नही तो नाही ये काऱण
होते नाही डोर होती जो हमारे मन के पतली पतली डोरियो से बंधी होती है ,और
शायद इसीलिए इनको छोड़ना। इनसे दूर रहना बहुत ही मुस्किल होता है ,और शायद
ये सोचना भी बहुत मुस्किल होता है कि हम अपनों को छोड़ने के भी
लेकिन क़भी कभी ये करना पड़ता है इसी का नाम तो त्याग है
इसीलिए लिए कहते है की त्याग का नाम ही जीवन है। .
लेकिन क़भी कभी ये करना पड़ता है इसी का नाम तो त्याग है
इसीलिए लिए कहते है की त्याग का नाम ही जीवन है। .
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