जमाना कितना जालिम है हम इसकी हद को देखेंगे हां उस राह पे फिर से गुजर कर हम भी देखेंगे नही दरिया नही साहिल नाही कोई मंजिल है हा इस रेत पर ताजमहल बना कर हम भी देखेंगेबिखरता है बिखरने दो ये गिरता है तो गिरने दो हम दिल में बसायेंगेहम अपना बनायेंगे दुनिया को हम बतायेंगे प्यार करके दिखायेंगेहर इक को मुमताज बनायेंगेहम शाहजहा बन जायेंगे तुझको पाने की खातिर हर हद से गुजरके देखेंगे जमाना कितना जालिम है हम इसकी हद को देखेंगे हां उस राह पे फिर से गुजर कर हम भी देखेंगे नही दरिया नही साहिल नाही कोई मंजिल है हा इस रेत पर ताजमहल बना कर हम भी देखेंगे
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