माथे पे हाथ रखकर हम बैठे है
उंगलियों से आँखों को सहलाते है
सिहरन जब होती है थोड़ी सी मुझे
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
आह भरता हु उनको याद कर कर के
धडकने मद्धम सी हो जाती है
थोडा घबराता है मन भी मेरा
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
वो चले गये मेरी यादो से
इक आहट भी ना थी उनके जाने की
रुकते इक बार तो मै पूछता उनसे
कारण क्या है ना कुछ बताने की
यही सोच के दिल में घबराते है
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
खता कौनसी हुई है मुझसे ये नही है पता
हमने तो हर पल ही उनको चाहा था
आज भी चाहते कल भी चाहेंगे
बिन मांगे कैसी दी है मुझे बद्दुआ
इसी कसमकस में उलझे जाते है
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
उंगलियों से आँखों को सहलाते है
सिहरन जब होती है थोड़ी सी मुझे
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
आह भरता हु उनको याद कर कर के
धडकने मद्धम सी हो जाती है
थोडा घबराता है मन भी मेरा
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
वो चले गये मेरी यादो से
इक आहट भी ना थी उनके जाने की
रुकते इक बार तो मै पूछता उनसे
कारण क्या है ना कुछ बताने की
यही सोच के दिल में घबराते है
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
खता कौनसी हुई है मुझसे ये नही है पता
हमने तो हर पल ही उनको चाहा था
आज भी चाहते कल भी चाहेंगे
बिन मांगे कैसी दी है मुझे बद्दुआ
इसी कसमकस में उलझे जाते है
सिसक कर आंसू क्यों आ जाते है
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