क्यों तीर जैसे चुभते है तेरे हर शब्द मुझको
क्या मै ही आजमाने के लिए मिला हु तुझको ऐ जिन्दगी
क्यों शूल से लगते है दिल पे मेरे सनम
आंसू नही आते सारे तूफ़ान मद्धम है फिर भी
दिल में हलचल सी क्यों होती है
मन है भारी भारी शब्द कुछ है नही जुबा पे
तेरे लम्हों में रहने की फिर है थोड़ी गुजारिस
है इल्तजा मेरी तेरे संग मै रहू कुछ पल
कुछ भी कहे तू लेकिन तेरा हर दर्द सहू हर पल
तू वफा करे या जफ़ा करे मुझसे
मै रुक्सत हु इस जहा से तो तेरा होकर मरू
क्या मै ही आजमाने के लिए मिला हु तुझको ऐ जिन्दगी
क्यों शूल से लगते है दिल पे मेरे सनम
आंसू नही आते सारे तूफ़ान मद्धम है फिर भी
दिल में हलचल सी क्यों होती है
मन है भारी भारी शब्द कुछ है नही जुबा पे
तेरे लम्हों में रहने की फिर है थोड़ी गुजारिस
है इल्तजा मेरी तेरे संग मै रहू कुछ पल
कुछ भी कहे तू लेकिन तेरा हर दर्द सहू हर पल
तू वफा करे या जफ़ा करे मुझसे
मै रुक्सत हु इस जहा से तो तेरा होकर मरू
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