ए मेरी सखी क्यों भई बावरी
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ek muskaan: आज दिल बेचैन है तुम बिनek muskaan: आज दिल बेचैन है तुम बिन: आज दिल बेचैन है तुम बिन आज के दिन भी जो दूर हु तुमसे मै ये सात समंदर कई दीवारों की तरह है जिन्हें तोड… Read More
बिखरा ख्वाब रेत की जमी पर इक मकान हमने भी बनाया था अपने यादो के खूबसूरत लम्हों से उसको सजाया था बड़ी ताकीद की थी उनको उसमे लाने की कई तन्हा राते … Read More
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