आज रोने दे रह रहके मुझे
थोडा और कयामत को पास आने दे
देखते है हम भी इस समंदर को
रह रह के बिजलिया गिराने दे
बस और बस कुछ और लम्हे
गुजर जायेगा ये भी सफ़र
कई मंजिले तय की है तन्हा
ये एक और होगी तो नयी बात नही
थम जाते है हर तुफा मौसम के
ये दिल का तूफा भी गुजर जायेगा
अभी जहन में कुछ बची है साँसे
इनके जाते ही मद्धम पड़ जाएगा
आँखों के आंसू अब तो सूख गये
बस लहू के आने का इंतज़ार है
कुछ ही लम्हों ये वक़्त गुजर जायेगा
कतरा कतरा बह के सब थम जायेगा
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