ek muskaan: अब मन पे नशा छाने लगा है Kavita house 00:25 Kavita Sangrah No comments ek muskaan: अब मन पे नशा छाने लगा है: अब मन पे नशा छाने लगा है खुली आँखों से कोई अपना बनाने लगा है चद्दर से ढकने की बहुत कोशिश की मैंने फिर भी मेरे बाजू में आके वो मुझको सताने... Share This: Facebook Twitter Google+ Stumble Digg Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook Related Posts:जय भारत तुफानो को भी चीर के हम आगे बढ़ते है दम है दुनियावालो तो आजमाकर देख लो हौसलों की बात क्या हम करे आवाज से आवाज मिला के देख लो … Read Moreबेगाना मौसम धुप सौतन सी लगती है ग्रीष्म ऋतू में सखी शरद ऋतू में साजन सी लागे मुझे बरखा में जैसे हो जाए ये बावरी और बसंत में मनोहर सी लागे मु… Read Moreदर्दे दिल इन्तहा हो गयी उनकी सितम ढाने की की वो बेदर्द होते गये हम दर्द से तडपते रहे आह निकली नही उनके जहन से एक भी और हम तिनका तिनका… Read Moreअन्जाना एहसास मेरा मन जब उदास होता है मै ही मै रहता हूँ न कोई साथ होता है ले लेता हूँ एक छोटी सी छड़ी चल देता हूँ अपनी बगिया में बस वही … Read Moreभूलना चाहू मै हर पल फिर भी क्यों याद आती है समन्दर शांत कब होता है हवा जब थम सी जाती है बदल मद्धम बरसते है कोई आवाज आती है सिसकती है जब ये साँसे आँखे भी सूख जाती है&nbs… Read More
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