वो इसारे से समझाना
वो इसारे से समझाना
अंजानी भाषा में बात करना
कुछ भी कहने में असमर्थ शब्दों से
लेकिन इसारो से बया करना
वो तुतलाती हुई जुबा से
नन्हे नन्हे कदमो पे आना
क…Read More
क्योकि उस राह से गुजरा था मै भी कभी
वो कोयल की कूक सुन रहे थे हम
लेकिन आज उसमे सुर नही था मिलन का
जाने वो किन ख्यालो में खोई थी
या विरह का दर्द था अपने सजन का
रोज सुनते थे उसकी कू…Read More
वो मिटटी से बनाइ सूरत थी मैंने
वो मिटटी से बनाइ सूरत थी मैंने
जाने क्या बना रहा था
वो अनजानी सी मुरत
जाने किसकी बन गयी
ना देखा था कभी अनजानी सखी
जैसे इस ह्रदय में प्यार का आगाज हो …Read More
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