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Friday, 14 September 2018

समलैंगिकता के जेनेटिक कारण क्या हैं? ●Is There A Gay Gene?●

 Kavita house     04:30     No comments   

समलैंगिकता के जेनेटिक कारण क्या हैं?
●Is There A Gay Gene?●
समलैंगिकता: अपराध या चुनाव?
●A Deep Insight On Homosexuality●
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अगर आप मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप जैसे किसी भी यंत्र का इस्तेमाल करते हैं तो इसके लिए आपको आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के पितामह "एलन ट्यूरिंग" का शुक्रगुजार होना चाहिये।
23 जून, 1912 को लंदन में जन्में ट्यूरिंग शताब्दियों में जन्म लेने वाले व्यक्ति थे। एलन ट्यूरिंग ने ही मानवता को सूचनाओं के मैथमेटिकल पैटर्न्स के बारे में सिखाया। एलन ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एडोल्फ हिटलर की सेनाओं द्वारा भेजे जाने वाले कूट संदेशों को पकड़ने और डिकोड करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कहा जाता है कि अकेले ट्यूरिंग के कारण मानवता का संहार करने पर तुला हिटलर यह युद्ध समय से 5 वर्ष पहले ही हार गया था।
.
एक शानदार व्यक्तित्व होने के बावजूद एलन ट्यूरिंग 7 जून, 1954 को अपने कमरे में एक जहरीले अधखाये सेब के साथ मृत मिले थे। ट्यूरिंग ने आत्महत्या की थी।
वजह?
वजह यह थी कि ट्यूरिंग एक समलैंगिक थे।
समलैगिक होना उन दिनों अपराध था। अपने कमरे में एक मर्द साथी के साथ पाये जाने पर ट्यूरिंग पर एक ब्रिटिश अदालत में मुकदमा चलाया गया।
जेल जाने की बजाय मजबूरी में उन्होंने सजास्वरूप हार्मोन्स के इंजेक्शन लेना स्वीकार कर लिया जिस कारण उनकी मर्दानगी जाती रही और वक्ष स्त्रियों के समान विकसित हो गए।
लगातार दो वर्षों तक गंभीर मानसिक प्रताड़ना, अवसाद और अपमान से गुजरने के बाद आखिरकार इस बेहतरीन इंसान ने अपने जीवन का अंत कर लिया।
अपने जीते जी एलन ने किसी का बुरा नही किया। अपने प्रयासों से लाखों जिंदगियां बचाने वाले और अपने अविष्कारों से मानवता को नयी दिशा देने वाले इस महान वैज्ञानिक का एकमात्र अपराध समलैंगिक होना था।
क्या समलैगिंकता वाकई अपराध है?
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समलैंगिकता के जेनेटिक कारणों की तलाश में वैज्ञानिक लंबे समय से प्रयासरत हैं। 1993 में डीन हैमर नामक वैज्ञानिक ने एक्स क्रोमोजोम के जेनेटिक मार्कर XQ28 और क्रोमोजोम नम्बर 8 के एक विशेष हिस्से की खोज की थी जिसे उन्होंने मनुष्यों में समलैंगिकता का कारण बताया था। 2014 में माइकल बैली ने 409 समलैंगिक जोड़ों के जीनोम पर शोध करके डीन हैमर के दावों की पुष्टि की है।
नार्थ शोर युनिवेर्सिटी (इलिनॉय) के एलन सैंडर ने 1077 समलैंगिक तथा 1231 स्ट्रैट व्यक्तियों के जीनोम पर शोध करके दो जीन को खोजा है। उनमें से क्रोमोजोम नम्बर 13 पर मौजूद जीन SLITRK6 मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस हिस्से से संबंध रखती है तथा दूसरी जीन TSHR थाइरोइड नामक अंग से संबंध रखती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये दो जीन मनुष्यों में यौन चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।
यह निश्चित तौर पर नही कहा जा सकता कि यौन चुनाव को एक सिंगल जीन प्रभावित करती हैं अथवा जीन्स का समूह पर इस बात पर सभी वैज्ञानिक एकमत हैं कि समलैंगिकता का उदय डीएनए में होता है और यह पूरी तरह प्राकृतिक है।
इसमें किसी व्यक्ति का क्या दोष?
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मैं आपको बता दूं कि अब तक कुत्ता, बिल्ली, कीड़े, मछली, वानर, शेर, पक्षी आदि विभिन्न वर्ग के 1450 से ज्यादा जैव प्रजातियों पर शोध किया जा चुका है और 100% एक्यूरेसी के साथ समलैंगिक व्यवहार हर प्रजाति में पाया गया है। पृथ्वी की एक सिंगल प्रजाति भी ऐसी नही है जिसके कुछ प्राणी समलैंगिक नही हो। आखिर किस मुंह से हम समलैंगिकता को अप्राकृतिक घोषित करते हैं? क्या प्रकृति मूर्ख है जो हर प्रजाति में समलैंगिक जीवों को जन्म दे रही है?
क्या हम प्रकृति से भी बड़े हो गए हैं?
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यहां एक विरोधाभास खड़ा हो उठता है। हम जानते हैं कि प्रकृति का एकमात्र ध्येय सर्वाइवल और रिप्रोडक्शन है। जाहिर हैं कि समलैंगिक अन्य लोगों के मुकाबले कम बच्चे पैदा करते हैं उसके बावजूद प्रकृति वंशवृद्धि में असमर्थ इस प्रवृत्ति को निरंतर क्यों ढो रही है? कहीं ऐसा तो नही कि होमोसेक्सयूएलिटी सामाजिक तौर पर प्रकृति के दूसरे ध्येय "सर्वाइवल" में मदद करती रही है? इस विषय पर जल्द एक पोस्ट करूँगा।
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आज के लिए सिर्फ इतना ही कहूंगा कि अपने अज्ञान को ईश्वरीय कानूनों की संज्ञा देकर अपनी ही प्रजाति के मनुष्यों के प्रति घृणा का महोत्सव बन्द हो।
अगर समलैंगिकता वाकई अपराध होती तो मुझे बताइये कि क्यों किसी भी भारतीय धर्मग्रंथ वेद, पुराण आदि में समलैंगिकता के विरोध में एक भी लाइन मौजूद नही है? क्या इतनी गंभीर बीमारी के परिपेक्ष्य में हमारे पूर्वज छोटी सी भी नसीहत देना भूल गए? शायद इंसानी संवेदनाओं को समझने में वे हमसे कहीं ज्यादा परिपक्व थे।
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वेदों का उद्घोष है।
विकृति एवं प्रकृति !!
जो अप्राकृतिक प्रतीत होता है, वह भी प्राकृतिक है। बस नजरिये का फर्क है।
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मैं हमेशा कहता हूँ हमनें ये खूबसूरत चांद, सितारे, झरनें, पहाड़, फूल, खुशबू, ब्लैकहोल्स, न्यूट्रान, प्रोटान नही बनाये हैं पर इस दुनिया की बेहतरी के लिए फैसले बेशक हम लेते हैं।
मैं न्यायतंत्र द्वारा सहमति से बनाये वयस्क समलैंगिक संबंधों को अपराध घोषित करने वाली धारा को निरस्त करने के फैसले का स्वागत करता हूँ।
आइये, एक बेहतर दुनिया मे आपका स्वागत है जहां परंपराओं के नाम पर, अज्ञान के नाम पर किसी और ट्यूरिंग को जान नही गंवानी पड़ेगी।
**********************************
And As Always
Thanks For Reading !!!
#झकझकिया

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